वक्त मै बर्बाद करता हुवक्त का क्या गुनाह है ?थम जाये भले ज़िन्दगीदौड़ने में भी तो इज़्तिरार हैकभी चाय की चुस्कियां ही ले लो ,उस धुवे में छिपे नशे का सुकून अलग है .. वक्त मै बर्बाद करता हुवक्त का क्या गुनाह है ?इन दूरियों का भले हो गम ,किसी आशिक़ के मोहब्बत काइख़्तिताम भीContinue reading “वक्त का क्या गुनाह है ?”
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वक्त ने किया सितम…
वक्त ने किया सितम ,मेरा क्या गुनाह है ,जाकर तुम भी वक्त से पूछो ,तू किस घडी में ,बीतता चला जा रहा है .. वक्त ने किया सितम,ठहर जा कुछ मेरी भी सुन ,सवालो के जवाब दे जा –दो सालो में गुजारी यादो कोदो पल में क्यों मिटा रहा है .. वक्त ने किया सितम,रुकContinue reading “वक्त ने किया सितम…”