वक्त मै बर्बाद करता हुवक्त का क्या गुनाह है ?थम जाये भले ज़िन्दगीदौड़ने में भी तो इज़्तिरार हैकभी चाय की चुस्कियां ही ले लो ,उस धुवे में छिपे नशे का सुकून अलग है .. वक्त मै बर्बाद करता हुवक्त का क्या गुनाह है ?इन दूरियों का भले हो गम ,किसी आशिक़ के मोहब्बत काइख़्तिताम भीContinue reading “वक्त का क्या गुनाह है ?”