मी पुन्हा येईन, मी पुन्हा येईन,
मैंने था कहा ,
दिल ने चाहा था , सरकार बनाना ..
बेवफा निकली तू ,
सिर्फ खेल है सारा,
कहके गयी थी ,
साथ है निभाना ,
घर के झगड़े को बाहर निकाला,
तब मैंने जाना ,
धोखा हो गया !
दी थी पुकार ,
साथ मे सब पाना ,
कुर्सी के वास्ते ,
मुझे न पहचाना ,
राम मंदिर की सौगंध –
लोगो के अरमान ,
तूने यादो को भुलाया ,
पवार ने बुलाया ,
और धोखा हो गया !
भगवा है तू ,
धर्म को न जाना ,
अधर्म का साथ लिए,
सरकार बनाया ,
कहता तो , यह दोस्त
नयी मंजिल बनाता
पर तुझे तो अपने ‘Ego’ ने मारा ,
हमने तब जाना ,
यह तो धोखा हो गया !
दोस्ती तो हमने ,
छोटे साहब से भी की ,
दो दिन के लिए सही ,
कुर्सी भी ली ,
चाहते थे हम , पांच साल था रहना ,
छोटे भाई का हट , उसे भी करना था पूरा ,
जब तुमने विकास हमसे चुराया ,
चाहत की दास्तान मे ,
दिल मेरा तोडा ,
याद रहेगा ‘drama’ यह सारा
धोखा हो गया..
हां जी धोखा हो गया !!!