क्या फर्क पड़ता है ?
तू हसेगी, हसायगी
दिल मैं बसाएगी
चोरी से चुपके से
हलचल मचाएगी
दो दिनों के प्यार मे
मुज़को भी फसाएगी
तो क्या फर्क पड़ता है ?
क्या फर्क पड़ता है ?
तू रोयेगी , रुलायेगी ,
बाबू शोना की हट सजाएगी,
दो पल के लिए मुझे मनाएगी
दिन मे खेलेगी ,
रात मे खिलाएगी,
धीरे धीरे से नखरे दिखाएगी
तो क्या फर्क पड़ता है ?
क्या फर्क पड़ता है ?
तू भूलेगी , भुलाएगी,
बाहो मे मेरे सपने दिखाएगी ,
प्यार व्यार के वादे करेगी,
झूठे ही सही उम्मीद दिखाएगी
‘It’s not you, it’s me’ के बहाने देगी,
कल वाले प्यार की कातिल बनाएगी
सामने से जाएगी,
नजरे झुकायेगी,
जिसने चाहा था, दर्द भी दिलाएगी …
तो क्या फर्क पड़ता है ?